Mahila Naga Sadhu Life: माथे पर तिलक, शरीर पर धुनी की राख और चेहरे पर तेज की अग्नि, नागा साधुओं (Naga Sadhu) का ये रूप और उनकी दुनिया काफी रहस्यों से भरी है। आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित विभिन्न अखाड़ों में नागा साधु ऐसे साधु होते हैं जो हमेशा बिना कपड़ों के ही रहते हैं। फिर चाहे कितनी भी गर्मी हो या सर्दी ये साधु निर्वस्त्र ही अपनी जिंदगी व्यतीत करते हैं। बहुत बार आपने पुरुष नागा साधुओं को देखा होगा, पर क्या आप जानते हैं कि पुरुषों की जैसे ही महिला नागा साधु भी होती हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या महिला नागा साधु (Mahila Naga Sadhu Clothes) भी पुरुषों की तरह बिना कपड़ों के रहती हैं?
भारत देश को साधु संतों के देश के तौर पर भी जाना जाता है, भारत में कई प्रकार के अखाड़े और साधु संत हैं। इन्हीं में से एक नागा साधु भी होते हैं। वे जंगलों और बेहद शांत जगहों पर अपना जीवन गुजारते हैं। ऐसे बहुत ही कम मौके मिलते हैं जब हम उनको देख पाते हैं। ये साधु हमेशा बिना कपड़ों के रहते हैं। ज्यादातर इन साधुओं को कुंभ मेले में या फिर किसी बड़े धार्मिक स्नान के वक्त ही देखा जा सकता है। साथ ही महिला नागा साधु भी इसी दौरान देखी जा सकती है।
Read More: Sabarimala Temple: सबरीमाला मंदिर के बारे में 10 चौंकाने वाले रहस्य
क्या निर्वस्त्र रहती हैं महिला नागा साधु (Mahila Naga Sadhu)?
नागा साधु जैसे महिला नागा साधु भी बहुत ही कठिन जीवन गुजारती हैं। हालांकि ये पुरुषों की तरह बिना कपड़ों के नहीं रहती हैं। वे अपने शरीर पर सिर्फ एक गेरुआं वस्त्र पहनती हैं। वे सिर्फ और सिर्फ एक ही वस्त्र धारण कर सकती हैं और ये वस्त्र सिला हुआ नहीं होता है। उनके इस वस्त्र को गंती कहा जाता है। इसके अलावा वो हमेशा माथे पर तिलक लगाती हैं।
महिला नागा साधु बनना बेहद कठिन होता है। जिसके लिए इन्हें कठोर घड़ी से होकर गुजरना होता है। उनको 6-12 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जब ये पूरी तरह खुद को ईश्वर के चरणों में समर्पित कर देती हैं तब गुरु उन्हें नागा साधु बनने की इजाजत देते हैं। नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को खुद अपनी जीते-जी पिंडदान करना होता है। जिसके बाद उनके सिर का मुंडन होता है और फिर स्नान के बाद पूरे विधि-विधान से महिलाओं को नागा साधु बना दिया जाता है।
बहुत ही कठिन है महिला नागा साधुओं का जीवन
एक महिला नागा साधु (Mahila Naga Sadhu) बनने के बाद उनका पूरा जीवन भगवान को समर्पित हो जाता है। वे हमेशा भगवान की भक्ति में लीन रहती हैं, इनकी हर सुबह भगवान की उपासना से शुरू होती है और पूरे दिन इन्हें ईश्वर की भक्ति में मगन रहना होता है। सुबह के जागने से रात तक ये पूजा-पाठ करती हैं। उनको अन्य साध्विया माता भी कहते हैं। इसके साथ ही इन्हें नागिन, अवधूतानी कहकर भी बुलाया जाता है।
Leave a Reply