(Bhangarh Fort) भानगढ़ का किला… वो जगह जो भारत की सबसे भूतिया जगहों में सबसे पहले लोगों के जहन में आती है। इस जगह को एक्सप्लोर करने की ख्वाहिश हर किसी के मन में होती है। काफी लोग यहां घूमने आते भी हैं, लेकिन शाम 6 बजे तक; क्योंकि उसके बाद ये जगह किसी भी इंसान के रहने लायक नहीं बचती।
सरकार ने यहां शाम 6 बजे के बाद जाने पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। सरकार भी मानती है कि यहां रात के वक्त जाना सुरक्षित नहीं है। लोगों का कहना है कि यहां पैरानॉर्मल एक्टिविटीज़ होती है। आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया ने रात को यहां जाना बैन किया है।
भानगढ़, राजस्थान (Bhangarh, Rajasthan) के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के एक छोर पर स्थित है। यहां स्थित किला ‘भूतहा किला’ (Haunted Fort) माना जाता है। जिसे आमेर के राजा भगवंत दास ने 1583 में बनवाया था। भगवंत दास के छोटे बेटे माधो सिंह ने बाद में इसे अपनी रिहाइश बना लिया।
संत के शाप से रातों-रात उजड़ गया भानगढ़ (Bhangarh)
आमतौर पर इस जगह के बारे में काफी कहानियां प्रचलित हैं लेकिन एक कहानी जो सर्वाधिक प्रचलित है, वह है महाराजा माधो सिंह की। कहते हैं कि महाराजा माधो सिंह ने गुरु बालू नाथ की स्वीकृति हासिल करने के बाद शहर बसाया था। संत ने उस वक्त महाराज के सामने शर्त रखी थी कि वह शहर बसा सकते हैं लेकिन कभी-भी महाराजा के महल की छाया उनके प्रार्थना स्थल पर नहीं पड़ेगी।
अगर ऐसा हुआ तो महाराजा का महल तहस-नहस हो जाएगा। महल जब बनकर तैयार हुआ तो उसकी छाया प्रार्थना स्थल पर पड़ गई। उसी वक्त भानगढ़ तहस-नहस हो गया और एक शापित शहर बन गया। संत के शाप के चलते भानगढ़ को दोबारा नहीं बसाया जा सका। उस संत का का तपस्या स्थल आज खंडहर में तब्दील हो गया है।
जब राजकुमारी रत्नावती पर मोहित हो गया था तांत्रिक सिंधु सेवड़ा
कहा जाता है कि राजकुमारी रत्नावती काफी सुंदर थी। उसकी सुंदरता के चर्चे काफी दूर तक थे। हर कोई उसे पाने के लिए ललायित था। उन्हीं लोगों में से एक था- तांत्रिक सिंधु सेवड़ा, जो किसी भी कीमत पर राजकुमारी को हासिल करना चाहता था। एक बार की बात है जब राजकुमारी ने अपनी एक दासी को बालों का तेल लेने बाजार भेजा था। इस बात की भनक लगते ही तांत्रिक ने तेल पर काला जादू कर दिया। तांत्रिक ने सोचा था कि अगर राजकुमारी तेल को लगा लेगी तो उसके पास खींची चली आएगी।
लेकिन ये बात किसी प्रकार राजकुमारी को पता चल गई है। राजकुमारी ने तांत्रिक को उसी के काले जादू में फंसाने की इच्छा से वह तेल की शीशी पत्थर पर दे मारी। काले जादू ने अपना असर राजकुमारी की जगह पत्थर पर कर दिया और वो पत्थर तांत्रिक की तरफ बढ़ने लगा। एक वक्त पर पत्थर उस तांत्रिक के ऊपर से गुजर गया जिससे उसकी मौत हो गई। लेकिन मरते वक्त उसने भानगढ़ को शाप दे दिया। जिसके चलते भानगढ़ तहस-नहस हो गया और वहां कोई इंसान नहीं बचा। यहां तक की राजकुमारी रत्नावती की भी मौत हो गई।
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भानगढ़ को लेकर आखिर क्या है लोगों का मत?
भानगढ़ (Bhangarh) को लेकर विभिन्न मत हैं। एक तरफ जहां वैज्ञानिक इसे भूतिया जगह मानने से इंकार करते हैं। वहीं दूसरी तरफ, स्थानीय लोगों का मत इससे विपरीत हैं; यहां आसपास के इलाकों में रहने वाले लोग बताते हैं कि एक औरत के चीखने, चूड़ियां टूटने और सिसकियों की आवाजें सुनाई देती हैं। कई बार किले से वाद्य यंत्रों की आवाजें भी आती हैं। लोगों ने परछाईयां देखने के भी दावे किए हैं।
ये मजाक लगेगा लेकिन लोगों ने ये तक कहा है कि उन्हें कई बार मार भी पड़ चुकी है। ऐसे लगता है कि कोई अदृश्य शक्ति उन्हें अपने वश में कर लेती है। वहां एक अजीब तरह की गंध आती है। हालांकि, ये कहानी कितनी सच है, इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।
आखिर भानगढ़ के किले तक कैसे पहुंचा जाए?
अगर आप भी भानगढ़ (Bhangarh) के किले को एक्सप्लोर करने करना चाहते हैं तो हवाई, सड़क और रेल मार्गों से यहां पहुंचा जा सकता है। राजधानी दिल्ली से भानगढ़ के किले की दूरी करीब 300 किलोमीटर है। भानगढ़, पहुंचने लिए टैक्सी या पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस का इस्तेमाल कर सकते हैं। आइएसबीटी से अलवर जाने वाली गाड़ी में भी सफर किया जा सकता है। जहां से भानगढ़ के किले तक पहुंचना आसान हो जाता है।
अगर आप हवाई मार्ग से भानगढ़ जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको जयपुर के सांगानेर एयरपोर्ट पर लैंड करना होगा। जहां से भानगढ़ का किला मात्र 56 किलोमीटर दूर है।
रेलमार्ग से आने के लिए आपको दौसा रेलवे स्टेशन तक यात्रा करनी होगी। दौसा रेलवे स्टेशन से किले की दूरी करीब 22 किलोमीटर है। स्टेशन के बाहर आपको आसानी से कैब या टैक्सी मिल जाएगी।
भानगढ़ का किला: भ्रमण संबंधी विवरण
जयपुर-दिल्ली मार्ग पर स्थित भानगढ़ के किले में प्रवेश नि:शुल्क है। यहां घूमने के साथ-साथ आप राजस्थान की अन्य जगह जैसे नीमराना, जयपुर, सरिस्का, अलवर भी घूम सकते हैं। जोकि भानगढ़ के बेहद करीब हैं और पर्यटन के लिहाज से काफी फेमस भी हैं।
भानगढ़ किले (Bhangarh Fort) का भ्रमण करने का सही समय अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है जब मौसम काफी सुहाना रहता है। अगर बात करें किले के दैनिक रुप से खुले रहने की तो यह सुबह 6 से शाम 6 बजे तक ही पर्यटकों के लिए खुला रहता है। उसके बाद यहां जाना पूर्णत: वर्जित है।
किले में मौजूद मंदिर का यह रहस्य है अनसुलझा
किले में भगवान सोमेश्वर का मंदिर, गोपीनाथ का मंदिर, मंगला देवी का मंदिर और केशव राय का मंदिर भी है। मंदिर देखने में सही अवस्था में हैं। लेकिन मूर्तियां नहीं हैं। केवल सोमेश्वर मंदिर में ही मूर्तियां हैं। खास बात यह है कि हर कोई इस मंदिर में पूजा नहीं कर सकता है। केवल तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के परिवार के लोग ही यहां पूजा कर सकते हैं। इसका रहस्य भी अनसुलझा है। मंदिर के पास ही एक बावड़ी भी है, जहां ग्रामीण नहाते हैं। बाकी ज्यादातर यहां ध्वस्त किले के अवशेष ही दिखाई देते हैं।
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